गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रथम गुरु : भारत अशोक अरोड़ा


फरीदाबाद, 8 नवंबर। गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में मंगलवार को सिंह सभा गुरुद्वारा एनआईटी-1 नं. से नगर कीर्तन यात्रा का भव्य इंतजाम किया गया। पूरा नगर ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ आदि गुरु वाणी से गूंज उठा। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने काग्रेंसी नेता भारत अरोड़ा का शॉल पहनाकर स्वागत किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रथम गुरु हैं। इन्होंने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन और सुख का ध्यान न करते हुए दूर-दूर तक यात्राएं की और लोगों के मन में बस चुकी कुरीतियों को दूर करने की दिशा में काम किया। उन्होने कहा कि हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को इनका जन्मदिन प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि गुरु नानक देवजी ने कुरीतियों और बुराइयों को दूर कर लोगों के जीवन में नया प्रकाश भरने का कार्य किया। उन्होने गुरू नानक के बचपन के किस्से बताते हुए कहा कि गुरू नानक में बचपन से ही प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। बचपन से ही इनमें सांसारिक विषयों के प्रति कोई खास लगाव नहीं था। पढऩे लिखने में इनका मन नहीं लगा और मात्र 8 साल की उम्र में स्कूल छूट गया क्योंकि भगवत्प्रापति के संबंध में इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक ने हार मान ली। इनके प्रश्नों के आगे खुद को निरुत्तर जानकर इनके शिक्षक इन्हें लेकर इनके घर पहुंचे तथा वे इन्हें ससम्मान घर छोडक़र चले गए। इसके बाद नानक का सारा समय आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत होने लगा। उन्होने कहा कि इसी प्रकार आगे चलकर नानक नाम का बालक गुरू नानक नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस मौके पर प्रधान मनजीत सिंह चावला, उप प्रधान जगपाल सिंह पिंटू, उप प्रधान चरणजीत सिंह, कोषाध्यक्ष अवतार सिंह जी, टीनू वीर बलजीत सिंह, रविंद्र सिंह राणा, बहादुर सिंह सभरवाल व समस्त गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य गण मौजूद रहे।

Mahesh Gotwal

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